
मध्य प्रदेश की सोनम रघुवंशी ने मेघालय की पुलिस और इंटेलिजेंस को ऐसा चुपचाप झटका दिया कि पूरी व्यवस्था सन्न रह गई। उन्होंने अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या की, और बिना कोई पूछताछ, चेकिंग या कैमरा रिकॉर्डिंग के—सीधे राज्य से बाहर निकल गईं। मेघालय के संगठन सालों से ILP की मांग करते रहे, लेकिन सोनम एक दिन में वो बहस फिर ज़िंदा कर गईं।
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ILP यानी ‘इनर लाइन परमिट’ का भूत फिर ज़िंदा
इस घटना के बाद राज्य में इनर लाइन परमिट (ILP) लागू करने की मांग फिर जोर पकड़ रही है। खासी और जयंतिया संगठनों ने एक सुर में कहा—“रेल तो छोड़िए, अब तो लोग मर्डर करके भी बेफिक्र लौट जा रहे हैं।” खासी हिल्स नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट (KHNAM) ने सीधे गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा कि, “अब नहीं तो कब?”
सरकार की स्मार्ट चाल: MRSSA की सख्ती
इस घटना के बाद सरकार भी नींद से जागी और Meghalaya Residents Safety and Security Act (MRSSA) को और सख्ती से लागू करने का एलान किया। अब पर्यटक मेघालय में यूं ही चहलकदमी नहीं कर सकेंगे।
मोबाइल ऐप पर ट्रैवल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
पहचान पत्र, गाड़ी नंबर और होटल की डिटेल अपलोड जरूरी
और हां, ‘हम बस घूमने आए हैं’ वाला बहाना अब नहीं चलेगा
रेलवे से डर: रेल से पहले रजिस्ट्रेशन चाहिए
ILP के ना होने के चलते खासी संगठन लंबे समय से रेल नेटवर्क का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि “रेल लाईन नहीं, पहले लाइन में लगो परमिट के लिए!”
ये संगठन मानते हैं कि बिना कंट्रोल के बाहरी लोगों की एंट्री से स्थानीय संस्कृति और संसाधनों पर बोझ बढ़ता है।
ILP आखिर है क्या बला?
इनर लाइन परमिट वो औपनिवेशिक विरासत है जिसे अंग्रेजों ने बनाया, लेकिन आज भी पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में धूमधाम से चल रहा है। इसमें बाहरी लोगों को राज्य में घुसने के लिए अनुमति लेनी होती है, मतलब “आवो तो सही, लेकिन पहले पूछो।”
मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, और अरुणाचल पहले से इस सिस्टम में शामिल हैं। मेघालय अब लाइन में है।
एक सोनम ने हिला दी सरकार और जगाया सिस्टम
सोनम रघुवंशी का यह मामला न केवल एक आपराधिक घटना थी, बल्कि यह मेघालय की सुरक्षा, राज्य की प्रशासनिक सतर्कता और लंबे समय से लटकी ILP की बहस को फिर से केंद्र में ले आया। अब सवाल यह है—क्या सरकार सिर्फ ऐप से काम चला लेगी, या ILP को भी लागू करेगी?
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